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पूर्णिया में लिखी गयी थी एवरेस्ट विजय की पटकथा

कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु और साहित्यकार सतीनाथ भादुरी की धरती पूर्णिया ने अपने दामन में इतिहास के कई ऐसे राज छुपा रखे हैं जिन्हें जान कर आप गौरवान्वित और अचंभित हो उठेंगे। आपको ये जानकर जरूर हैरानी होगी कि हिमालय की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के विजय का ताना बाना यहीं बुना गया था। जी हां आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा है। एवरेस्ट पर चढ़ाई के अभियान की नीव बिहार में रखी गयी थी तथा इसकी रूप रेखा जिले के चंपानगर में तैयार हुई थी और यहीं से एवरेस्ट के आरोहण के रास्ते को तलाशने की कवायद शुरू हुई थी। दरअसल, 3 अप्रैल 1933 की सुबह 8:25 मिनट पर ह्यूस्टन वेस्टलैंड विमान में सवार हो पांच सदस्यीय टीम ने  एवरेस्ट अभियान के तहत हिमालय की तस्वीरें लेने के लिए उड़ान भरी। उड़ान के लिए लालबलु में हवाई पट्टी का निर्माण कराया गया और आपात लैंडिंग के लिए अररिया के फारबिसगंज में इमरजेंसी लैंडिंग हैलीपैड बनवाया गया था। विमान लेफ्टिनेट मैनेकेन्ट्री उड़ा रहे थे जबकि टीम में मौसम विद के तौरपर एस. एन. गुप्ता मौजूद थे। जानकारों की माने तो एवरेस्ट की फोटोग्राफी का जिम्मा  एस. आर. बोनेट को सौंपा गया था। इन तीनों के अलावा अभिया

कोरी आलोचना (पीयू शताब्दी समारोह)

रवीश जी मैं आपका फैन हूँ आप जिस तरह से अपने कथा (कथा इसलिए कि न्यूज़ में तो निष्पक्षता और पूरी जानकारी रहती है)की शुरुआत करते हैं वो वाकई बेहतरीन है। मगर अब आप पर उम्र का असर होने लगा है शायद।पटना कॉलेज के शताब्दी समारोह को लेकर जो आपने प्राइम टाइम में भाषण दिया ( बिना उस विश्वविद्यालय के छात्र रहे हुए ) वो यकीनन मोदी जी के टक्कर का था। आपने जो कहा उसे मैं सहमत हूँ लेकिन सर आप ये तो मानते हैं ना कि अल्प ज्ञान खतरनाक होता है।आपके और आपके फॉलोवर्स के लिए बता दूँ कि बिहार के विश्वविद्यालयों में अध्यापकों की बहाली का जिम्मा केंद्र सरकार के पास नहीं वो राज्य सरकार का काम है। आपको ज्ञात होगा कि बिहार के कालेजों में वर्ष 1996 के बाद से ही अध्यापकों की बहाली कम होने लगी। थी जबकि उनकी बहाली हर दो साल पर होनी चाहिए थी। दूसरी बात रही कि पीएम को पीयू की बदहाली के वक़्त उसका दौरा करने चाहिए या नहीं तो आप ये बताइये कि आप झाड़ू कहाँ लगते हैं जहाँ गंदी हो वहां या जो पहले से साफ हो वहाँ।आपके सवाल से तो लगा कि आप साफ जहगों पर झाड़ू चलाने में भरोसा करते हैं बजाय गंदी को साफ करने के।इससे इतर आपने बिहारियों स
अति पिछड़ों को छल रही सरकार: प्रसाद पूर्णिया। राहुल कुमार सूबे की वर्तमान सरकार न सिर्फ अति पिछड़ा वर्ग व दलितों को गुमराह करने का काम कर रही है बल्कि उन्हें छल भी रही है। सरकार एक ओर तो समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों के उत्थान की बात करती है वहीं दूसरी ओर इस वर्ग के प्रतिभावान छात्रों को मिलने वाली छात्रवृति राशि की कटौती भी कर रही है जो न सिर्फ सरकार के दोहरे चरित्र को दर्शाता है बल्कि पिछड़ा वर्ग के प्रति उनकी नीतियों को भी स्पष्ट करता है। उक्त बातें कटिहार के विधायक तारकेश्वर प्रसाद ने स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहीं। दरअसल, भाजपा अति पिछड़ा मंच की ओर से स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर के प्रांगण में जन नायक कर्पुरी ठाकुर की जयंती मनाई गई जिसमें श्री प्रसाद ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरकार पर पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग को गुमराह व छलने का आरोप लगाया। इस कार्यक्रम में कटिहार के विधायक तारकेश्वर प्रसाद मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद थे। इस मौके पर कटिहार विधायक श्री प्रसाद ने जन नायक कर्पुरी ठाकुर के समग्र जीवन पर प्रकाश डाला और कहा कि श्री ठाकुर आजीवन ग